जंगल - भाग 1 Neeraj Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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जंगल - भाग 1

"चलो " राहुल ने कहा... "बैठो, अगर तुम आयी हो, तो मेमसाहब अजली ऐसा करो " चुप हो गया राहुल।जॉन को एक टक देख कर बोलता हुआ बोला, "अजली ------"फिर चुप हो गया।"देख जॉन को छोड़ दिया तुमने, मुझे भी, अब हम ये परिवार मर जाए कुछ भी हो, तुम्हारा हक़ नहीं किसी पर भी।" चुप थी अजली। कोट ने जो किया था वो सब परतक्ष था प्रगट रूप मे हाथ काँप रहे थे, अजली के। जॉन ने कहा, "तुम बैठो, काफ़ी वही ब्लेक पीती हो जा....."बाबा जी की तरफ देखते हुए राहुल बोला।"नहीं "उसने बाहो से निकलाते हुए पूछा।"ये सब कया हुआ!!" अजली ने सहमते हुए कहा। -------"तुम आपना अधिकार नहीं रखती, राहुल जो भी है, सब ठीक कर लेगा।  बेटी तुम्हे चिता नहीं करनी। "बाबा जी ने जानी दादा जी ने सारी बात एक सास मे पूरी कर दी।"जो खो चूका है, उसे दुबारा इज़त नहीं कहते।"राहुल ने उच्ची स्वर मे कहा।जॉन को एक टक देख कर बोलता हुआ बोला, "अजली ------"फिर चुप हो गया।"देख जॉन को छोड़ दिया तुमने, मुझे भी, अब हम ये परिवार मर जाए कुछ भी हो, तुम्हारा हक़ नहीं किसी पर भी।" चुप थी अजली। कोट ने जो किया था वो सब परतक्ष था प्रगट रूप मे हाथ काँप रहे थे, अजली के। जॉन ने कहा, "तुम बैठो, काफ़ी वही ब्लेक पीती हो जा....."बाबा जी की तरफ देखते हुए राहुल बोला।"नहीं "उसने बाहो से निकलाते हुए पूछा।"ये सब कया हुआ!!" अजली ने सहमते हुए कहा। -------"तुम आपना अधिकार नहीं रखती, राहुल जो भी है, सब ठीक कर लेगा।  बेटी तुम्हे चिता नहीं करनी। "बाबा जी ने जानी दादा जी ने सारी बात एक सास मे पूरी कर दी।"जो खो चूका है, उसे दुबारा इज़त नहीं कहते।"राहुल ने उच्ची स्वर मे कहा।जॉन को एक टक देख कर बोलता हुआ बोला, "अजली ------"फिर चुप हो गया।"देख जॉन को छोड़ दिया तुमने, मुझे भी, अब हम ये परिवार मर जाए कुछ भी हो, तुम्हारा हक़ नहीं किसी पर भी।" चुप थी अजली। कोट ने जो किया था वो सब परतक्ष था प्रगट रूप मे हाथ काँप रहे थे, अजली के। जॉन ने कहा, "तुम बैठो, काफ़ी वही ब्लेक पीती हो जा....."बाबा जी की तरफ देखते हुए राहुल बोला।"नहीं "उसने बाहो से निकलाते हुए पूछा।"ये सब कया हुआ!!" अजली ने सहमते हुए कहा। -------"तुम आपना अधिकार नहीं रखती, राहुल जो भी है, सब ठीक कर लेगा।  बेटी तुम्हे चिता नहीं करनी। "बाबा जी ने जानी दादा जी ने सारी बात एक सास मे पूरी कर दी।"जो खो चूका है, उसे दुबारा इज़त नहीं कहते।"राहुल ने उच्ची स्वर मे कहा।___" बेटा जॉन "माँ ने रुकते हुए कहा "आपना ख़याल रखना!!" सिर को पलोस्ती हुई बोली अजली।"रखलें गा, कोर्ट ने दोनों को अलग कर दिया था। बीच मे  कोर्ट का फैसला भी मान्य था। पर जॉन कया जाने। जिंदगी ऐसे ही आसान नहीं होती। कितनी धारणाएं होती है, कितने चुरसते होते है।

कितना आत्म बिबोर कर देती है जिंदगी के पथ पारदर्शिक कितने बिन्रम होते है।

जॉन विसमय मे था। कि उसकी माँ ने ऐसा कया कर दिया था। सोच थी।